Social Justice Poetry

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Social Justice Poetry   सुना है केरल मे शिक्षित बहुत है, पर शायद लगता है अशिक्षित भी बहुत है, तुम लोगो ने उस हथनी को खाने के नाम पे क्या खिला दिया,  इंसानियत के नाम पे ये क्या बता दिया, शर्म नही आयी तुम्हे ये अत्याचार करते हुए, क्या तुमने देखा नहीं कभी कोई लाल बढ़ते हुए, माना की वो बोल नहीं सकती थी तुम्हारी जैसे बोली, पर तुम भी क्या नासमझ थे जो खेल ली उसके खून से होली, और सुनो केरल वालो शिक्षा के साथ इंसानियत भी जगा लो, और अभी भी शर्म नही आयी तो इसका भी कोचिंग लगवा लो !

Breakup Shayari

                        Breakup Shayari
  • प्यार जानने से पहले ही मुझ मे ख़त्म हो गया, जब मुझे पता चला मोहल्ले मे एक मेहबुब दूसरे के चक्कर मे ख़त्म हो गया ! 
  • ज़िंदगी जीने से ज्यादा मौत की दुआ किये बैठे है,आज कल के मजनू ये शोक लिए बैठे है!
  • कास्ट तो ठीक बहाना है अलग होने का, मगर ये टाइम पास वाली बात मुझे आज तक समझ नही आयी!
  • पता नही होश मै हूँ या बेहोश हूँ, बहुत कुछ सोच कर खामोश हूँ,  पता है मुझे वो दोषी है इसलिये मै उस दोषी क दोष मे मदहोश हूँ!
  • इतना फायदा उठाया गया है मेरा कि मुझे ही मुझसे चुराया गया ः हर सवेरा!

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